18 Nov 2019
27 Sept 2018
Aakhir Imambade me Majlis ho kar rahi
Imam Hussain (as) ki Majlis barpa karne se rokna Sahi amal nahi hai. Jo shaks aisa kare wo kaisa hoga aap sab jante hai.
Afsoos, us Rangeele VP ne na sirf majlis karwane par pabandiyo ki baat ki balki dhamkiya tak di gai.
Lekin Momeneen ki ekjahti aur Allah par bharosa jeet gaya aur sabhi ne saath me mil kar Zalim ke muh par Zordaar tamacha jada aur strict instructions ke bawajood Imam bargah me Majlis hui... Shandaar hui.
Zalim yeh samajh raha tha ki donation de kar wo sab ko kharid lega aur deen o Azadari sab uske hukm se hogi.
Lekin Rajura Jamat ki unity ne Zalim ko bata diya ki wo chande ke paise lene ke chakkar me deen aur azadari ko khatre me nahi padne dege.
Pados ki jamat ne Zalim ke aage ghutne tek diye aur bata diya ki wo kis ke ghulam hai.
Ummat e Muslima ki taraf se Rajura ki Jamat ko salam
Aae hue paiso ko wapas karne wale jazbe ko salam
Zalim je samne ek jut ho kar khade rehne ko salam
Beshak Allah ke nazdeek sabse pasandida jamat wo hai jo uski raah me Zalim ke khilaf aise jihad kare jaise sisa pilaai hui deewar ho (Sura e Saff: 4)
25 Jul 2017
Rangeele VP ka Maulana Prem - Kya Sach kya Jhoot
Shahar me pichla Muharram sab ko yaad rahega jab khule aam awaam ko bula kar VP Sahab ne apni fikr se alag Olema Hazraat par apni milkiyat wali Masjido me majlis padhne par pabandi laga di.
Ab kehte hai na:
Boe ped babul ka...
To Aam kahan se hoe?
(बोए पेड़ बबूल का...
तो आम कहाँ से होए?)
Ye baat sach sabit hui. Awaam bechari ki nazro me Olemao ki izzat kam kar di gai.
Kuch malango ne Mujtahedin par lanat malamat ki.. kuch shaaero ne olemao ke khilaaf ashaar gad diye... Kuch log sadko par Olemao ki badtamizi karne lage.
Lekin aag to apne ghar ki Shadiyon me Naach Gana karne wale Rangeele VP sahab ne lagai thi na..
Waise VP sahab ka Federation aajkal idhar udhar letter baazi karne me mahir hota ja raha hai.
Canada ki jamat ke Secretary ke ghar me unnatural same sex marriage hua.. VP sahab ne letter issue kiya ki haram kaam hua hai, Jamat ko resign karna chahiye.
Apne mulk ki ek jamat ke bahar kisi aam shaks ne masjid ke bahar ek aalim se bad kalami kar di... VP sahab ne aalim ki izzat ka sawal utha kar Jamat se resignation maang liya.
Agar VP sahab ka dil sahi me jal raha hai to apne ghar me hue gaane bajane par resign kyu nahi kiya?
Aalim ki izzat pyari hai to 4 Aalim aur 1 Aalima par jab bhari meeting me gali galoch ke bich awaam ke haatho pabandi lagai tab kyu resign nahi kiya?
Magarmachchh ke aasu bahana, letter baazi karna aur muddo se logo ka dhyan hathana to koi VP sahab se sikhe.
Lekin sawal ab bhi baaki hai.. Bedeen aur Rangeele VP sahab ka aur unki team ka resignation kab?
13 Jul 2017
Rangeela VP aur Rangeeli Secretary: Khoja Community me Gay wedding
13 Dec 2016
Qaum ki halat: Media se qareeb - Olema se Dur
3 Nov 2016
Rusumaat aur Olema ki behurmati
21 Apr 2015
Yemen ke Halaat aur Hamara Kirdaar
मुस्लमान और ख़ुसूसन शिया होने के नाते यह हमारा फ़रीज़ा है की दुनिया में हो रहे हालात से बा-खबर रहे और ये देखे की आज की तारीख में हमारा क्या फ़रीज़ा है। इमाम अली (अ) अपनी वसीयत में हम से मुखातिब हो कर फरमाते है कि "हमेशा मज़्लूमिन के साथ रहो और ज़ालिम के खिलाफ"।
आइये हम अपने आप पर एक नज़र डाले की आज हम इमाम (अ) की वसीयत पर अमल कर रहे या नहीं?
सऊदी अरब ने आज से तक़रीबन दो हफ्ते पहले यमन पर हमला किया और हमले आज तक जारी है। इन हमलों में 2500 मासूमो की जाने चली गई और न जाने कितने शदीद ज़ख़्मी हुए। इंडियन मीडिया ने यमन के हालात को कवर तो किया लेकिन सिर्फ इस हद तक की यमन में फ़से भारतीय वापस अपने वतन पहुंच जाए। खुदा का करम हुआ की उसने सभी भारतीयो को यमन से निकलने का मौक़ा दिया। लेकिन इससे हक़ीक़ी हालात नहीं बदले। यमन अभी भी वैसा ही है।
यमन में अभी भी मासूम बच्चे और अवाम शहीद हो रहे है। इतना ही नहीं, सऊदी ने हाई डेंसिटी स्क्वाड बोम्ब्स का इस्तेमाल भी शुरू कर दिया है जिसकी वजह से भारी तबाही मची हुई है।
हमारा रवैय्या देखे तो पता चल रहा है की यमन में कुछ भी हो, हमें इससे क्या? मुंबई के खोजा शिया इस्ना अशरी हज़रात जमात के इलेक्शंस में बिजी है। दोनों पार्टियो को कैंपेनिंग करने से फुर्सत नहीं। ऐसे में जमात के प्लेटफार्म पर यमन की बात करना भैस के आगे बीन बजाने जैसा है। याद रहे, यही वो जमात है जिसने बहरैन के मौज़ू पर आज़ाद मैदान में पुरज़ोर एहतेजाज किया था। लेकिन आज जैसे यमन में मुस्लमान और शिया रहते ही न हो।
खोजा जमात इलेक्शंस में मसरूफ है, लेकिन दूसरे लोग जो खोजा नहीं है, उन्हें क्या हो गया है? वह तो मसरूफ नहीं। अपनी ज़िन्दगी में हमें इतना भी बिजी नहीं हो जाना चाहिए की अगर मज़लूम मदद के लिए आवाज़ उठाए तो कान पर जू तक ना रेंगे।
इसके साथ ही जब हम उलेमा की जानिब देखते है तो वहा भी सन्नाटा नज़र आ रहा है। उलेमा उम्मत के रहबर है, और रहबर का काम है की उम्मत को सही राह की तरफ आमादा करे। अगर जमात इलेक्शंस में मसरूफ है तो उलेमा अपने मजलिसों और बयानों से उम्मत का ध्यान अस्ल मुद्दे पर लाने की कोशिश करे, ऐसा करने से ना सिर्फ उलेमा का उम्मत में वक़ार बढ़ेगा, बल्कि उम्मत को रहबर के पीछे चलने की आदत होगी।
पिछले कुछ हफ्तों के मरकज़ी जुमे के पॉइंट्स पर नज़र डाले तो यमन का ज़िक्र तक नहीं मिलता। ऐसे में उम्मत किस्से तवक़्क़ो करे जो उसे राह दिखाए। जुमा एक मरकज़ी हैसियत रखता है और उम्मत की ट्रेनिंग के लिए एक बेहतरीन प्लेटफार्म है। हमारे आइम्मा (अ) ने खास तौर पर कहा है की दूसरे ख़ुत्बे में सियासी पहलु पर नज़र डाले, ताकि उम्मत जान सके की दुनिया में क्या हो रहा है और उम्मत का फ़रीज़ा क्या है।
यमन के मज़लूम बच्चे सऊदी और अमेरिका के बोम्ब्स का शिकार हो रहे है और क़ौम इलेक्शंस के खानो में मस्त है। पार्टियां कम्पैनिंग कर रही हैं। जिससे पूछो वो यही कहता फिर रहा है की ये जीतेगा की वो। मालूम पढता है जैसे दुनिया इसी मुद्दे पर घूम रही हो। और इन सब के दरमियान जुमे के ख़ुत्बे में यमन का ज़िक्र तक ना आना दिखता है की हम कहाँ जा रहे है।
हमें याद रखना चाहिए की खुदा सब का इम्तिहान लेता है। कभी माल से, कभी औलाद से, कभी फुरसत दे कर, कभी मरतबा दे कर। आज हमारे पास मौक़ा है की अपने पहले इमाम, इमाम अली (अ) की वसीयत पर अमल कर के मज़्लूमिन से अपनी हिमायत का ऐलान करे और ज़ालिम से बेज़ारी का इज़हार।
उसने हमें नेमतें दी, वक़्त दिया, आज़ादी दी, अपनी बात कहने की आज़ादी, भारत जैसे मुल्क में पैदा किया जहा हम एहतेजाज कर सकते है, लेकिन हमने इस नेमत के बदले में क्या दिया? सुकूत; ख़ामोशी; बेज़ारी; और ना जाने क्या?
2500 मासूम लाशें पुकार पुकार कर आवाज़ दे रहे हैं, कहाँ है वो जो कहते है की हमारा पहला इमाम अली (अ) है? क्यों वो अपने इमाम की वसीयत पर अमल नहीं करते? क्या हमारा नाहक़ खून उन्हें दिखाई नहीं देता? क्या उन्होंने सय्यद हसन नसरल्लाह, इमाम ख़ामेनई और दीगर ओलमा के बयानात नहीं सुने, जिनमे वो पुकार पुकार कर कह रहे है की मज़्लूमिन की हिमायत में हमेशा आवाज़ बुलंद करो और ज़ालिम के मुक़ाबिल बेज़ारी का इज़हार।
हमारा आज फ़रीज़ा है की अपना सुकूत तोड़े, रोज़मर्रा कछवे की चाल वाली ज़िन्दगी से बहार आए। इलेक्शंस में लड़ने वाली पार्टियों से पूछे की अगर वे जीत कर आएगें तो क्या ज़लिमिन के खिलाफ आवाज़ उठाएगे? उलेमा से उनके सुकूत की वजह पूछे? याद रहे सवाल पूछना बेइज़्ज़ती नहीं है? अदब के दायरे का खास ख्याल रहे। आज हम उठेंगे और सवाल करेंगे तो इंशाल्लाह आने वाली नस्लो तक ये सबक़ जाएंगा की ख़ामोशी और सुकूत कभी राहे हल है ही नहीं .
आइये हम अपने आपको बदले, हमारे समाज को बदले, अपनी सोच को बदले, इलेक्शंस में लड़ने वाली पार्टियों की जेहनियत को बदले, उलेमा को ये यक़ीन दिलाए की हम तैयार है; आप आवाज़ तो बुलंद करे; आइये सब मिलकर एक क़दम बढ़ाए एक असली इमाम (अ) के मानने वाले बने।
Rangeele VP ke President banne ke Rangeele Sapne
Kya aap ne suna? Rangeela VP ab aap hi ke bharose par President banne ke khawb dekh raha hai! Umeed hai, aap sab ko yaad hoga ki “ Ra...
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Kuch mahino pehle khabar aati hai ki humare shahar ke VP sahab ke ladke ki shadi me naach gana hota hai aur uske photos / videos social...
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Har qaum ka future is baat par depend karta hai ki samaj ke logo ki sochne ki taqat kaisi hai. Kya woh log sahi direction me samajh rahe h...
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"Jab unse kaha jaata hai ki jo Allah ne nazil kiya hai uski pairavi karo; to kehte hai ki nahi! Hum to usi tariqa se chalege jis ...
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यमन के हालात और हमारा किरदार मुस्लमान और ख़ुसूसन शिया होने के नाते यह हमारा फ़रीज़ा है की दुनिया में हो रहे हालात से बा-खबर रहे और य...