उमूमन यह देखा जाता है कि खुशियों के दिनों में लोग अपने आपसी गीले शिकवे भूल कर एक दूसरे से गले मिलते है और मिल जुल कर खुशियां मनाते है।
ऐसा ही कुछ हमे पूरे हिंदुस्तान में देखने को मिला जहाँ सारी शिया क़ौम अहले सुन्नत भाइयो के साथ मिल कर मिलाद ए नबीये करीम (स.) मनाती हुई दिखाई दी।
सिर्फ बड़े शहरों में ही नही बल्कि गाओ कस्बो में भी जश्न धूम धाम से मनाया गया और भाईचारे कक माहौल दिखा।
इतना ही नही, जो लोग इत्तेहाद के मुखालिफ बाते करते है उनके रहबर और मेंबर्स ने भी उम्मते मुस्लिमा को ईद की मुबारकबाद पेश करी।
महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटका जैसे राज्यो में भी शिया भाइयो ने अहले सुन्नत भाइयो के साथ मिल ककर ईद मनाई और जगह जगह शर्बत और खाने पीने का इंतज़ाम। किया। महाराष्ट्र में ब्रम्हपुरी, राजुरा, हिंगणघाट जैसे तहसील में ईद का जश्न मनाया गया वैसे ही हैदराबद, चेन्नई, बैंगलोर और मुंबई में भी अहले शिया और अहले सुन्नत सरकार (स.) की आमद का जश्न मनाते और एक दूसरे को ईद की मुबक़राबाद देते दिखाई दिए।
इन सब के बीच कुछ फितना पसंद लोग एक नई बिदअत को ईजाद करने की नाकाम कोशिश कर रहे थे जिसे "हफ्ता ए बरा'अत" का नाम दे रहे है, जिसका मतलब होता है दुसरो से दूर होने का हफ्ता। एक तरफ जहाँ मुजताहेदीन, ओलेमा और अवाम एक दूसरे के नज़दीक आने के लिए आमादा है, वही दूसरी तरफ फितना पसंद लोग अवाम में इंतेशार फ़ैलाने की नाकाम कोशिश कर रहे है।
ओलेमा और अवाम को मिल कर ऐसे फितनापरवर लोगो का पर्दा फाश करके उम्मत को फ़ितने की आग से महफूज़ रखना चाहिए।
अल्लाह से दुआ है कि उम्मत में भाईचारा और यकजहती का माहौल बाकी रखते हुए इसे मज़बूत बनाए और हमे फितना पसंद लोगो के शर से महफूज़ रखे।
तहरीर: अब्बास हिंदी