13 Dec 2016

कौम की हालत: मीडिया से करीब - ओलेमा से दूर

हर कौम का फ्यूचर इस बात पर डिपेंड करता है कि समाज के लोगो की सोचने की ताक़त कैसी है. 

  • क्या लोग सही डायरेक्शन में समझ रहे है? क्या लोग सही चीज़ सोच रहे है? 
  • क्या लोग constructive चीज़े सोचे रहे है या लढाई झगडे में लगे हुए है? 
अगर सोच destructive है तो कौम का फ्यूचर डार्क रहेगा और आगे बढ़ने की जगह कौम पीछे की तरफ जाएगी. लेकिन अगर कौम के लोग सही डायरेक्शन में सोच रहे है तो फ्यूचर रोशन रहेगा और आने वाली नस्ल दुनियावी और मानवी तरक्की करेगी.

आइये हम आज हिंदुस्तान में अपने हालात पर ध्यान दे.

Qaum ki halat: Media se qareeb - Olema se Dur

Har qaum ka future is baat par depend karta hai ki samaj ke logo ki sochne ki taqat kaisi hai. Kya woh log sahi direction me samajh rahe hai? Kya log sahi chiz soch rahe hai? Kya log constructive chize soch rahe hai ya ladai jhagde me lage hue hai? Agar soch destructive hai to qaum ka future dark rahega aur aage badhne ki jagah qaum piche ki taraf jaaegi. Lekin agar qaum ke log sahi direction me soch rahe hai to future roshan rahega aur aane wali nasl duniyavi aur manavi tarraqi karegi.

Aaiye hum aaj Hindustan me apne halaat par dhyan de. 

3 Nov 2016

रुसुमात और ओलेमा की बेहुरमती



"जब उनसे कहा जाता है की जो अल्लाह ने नाजिल किया है उसकी पैरवी करो; तो कहते है की नहीं! हम तो उसी तरीके से चलेगे जिस पर हमने अपने बाप दादाओ को पाया है" (31:21)

अल्लाह ने दीन को आसान और इंसानी तबियत (नेचर) के लिहाज़ से बनाया है, जिसमे तब्दीली इंसान के वुजूद के लिए खतरा साबित होती है. लेकिन ज़मीन और ज़माने के लिहाज़ से लोग अलग अलग किस्म की चीज़े दीन में दाखिल कर देते है जो शुरुवात में तो इतनी नुकसानदेह नज़र नहीं आती, लेकिन लम्बी मुद्दत में अवाम इसे दीन का हिस्सा बना लेती है. 

Rusumaat aur Olema ki behurmati



"Jab unse kaha jaata hai ki jo Allah ne nazil kiya hai uski pairavi karo; to kehte hai ki nahi! Hum to usi tariqa se chalege jis par humne apne baap dadao ko paaya" [31:21]

Allah (SWT) ne deen ko aasan aur insani tabiyat (nature) ke lihaz se banaya hai, jisme tabdeeli insan ke wujood ke liye khatra sabit hoti hai. Lekin zamin aur zamane ke lihaz se log alag alag qism ki chize deen me dakhil kar dete hai jo shuruwaat me to itni nuksaandeh nahi dikhai deti, lekin lambi muddat me awaam ise deen ka hissa bana leti hai. 

11 Oct 2016

करबला - इंकेलाबी या रुसुमी?

करबला के वाक़ये को देखा जाए तो हर एक शहीद अपनी जान देने के लिए तैयार नज़र आता है. शबे आशूर सभी माएं और बहने अपने बच्चो और भाइयो की हौसला अफ़ज़ाई करती नज़र आती है की दीं की हिफाज़त के लिए जान देने में किसी भी तरह की कोताही ना होने पाए.

लेकिन जब हम अपनी मजलिसो और नौहों पर नज़र डालते है तो ऐसा महसूस होता है की हर शहीद अपने ज़ख्मो से ग़मज़दा है और औरते अपने बच्चो को खून में लथपथ देख कर रंज और सदमे में है.

कही कोई जनाबे अली अकबर को दूल्हा बना देखना चाह रहा है तो कोई जनाबे कासिम की शादी होती देख रहा है; यह रोज़े आशूर की हक़ीक़त से कोसो दूर है और करबला के पैग़ाम के साथ नाइंसाफी है.

कौम की हालत: मीडिया से करीब - ओलेमा से दूर कौम की हालत: मीडिया से करीब - ओलेमा से दूर

हर कौम का फ्यूचर इस बात पर डिपेंड करता है कि समाज के लोगो की सोचने की ताक़त कैसी है.  क्या लोग सही डायरेक्शन में समझ रहे है? क्या लोग...

Qaum ki halat: Media se qareeb - Olema se Dur Qaum ki halat: Media se qareeb - Olema se Dur

Har qaum ka future is baat par depend karta hai ki samaj ke logo ki sochne ki taqat kaisi hai. Kya woh log sahi direction me samajh rahe h...

रुसुमात और ओलेमा की बेहुरमती रुसुमात और ओलेमा की बेहुरमती

"जब उनसे कहा जाता है की जो अल्लाह ने नाजिल किया है उसकी पैरवी करो; तो कहते है की नहीं! हम तो उसी तरीके से चलेगे जिस पर हमने अपने ...

Rusumaat aur Olema ki behurmati Rusumaat aur Olema ki behurmati

"Jab unse kaha jaata hai ki jo Allah ne nazil kiya hai uski pairavi karo; to kehte hai ki nahi! Hum to usi tariqa se chalege jis ...

करबला - इंकेलाबी या रुसुमी? करबला - इंकेलाबी या रुसुमी?

करबला के वाक़ये को देखा जाए तो हर एक शहीद अपनी जान देने के लिए तैयार नज़र आता है. शबे आशूर सभी माएं और बहने अपने बच्चो और भाइयो की हौसला अफ़ज़...

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